
इंदौर। केंद्रीय बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने देश भर में मेट्रो परियोजनाओं के लिए भी अहम घोषणाएं की हैं। बजट में 700 किमी से ज्यादा लंबे मेट्रो रूट के विस्तार के लिए 11 हजार करोड़ की घोषणा की गई है। इसके साथ ही जहां मेट्रो का काम चल रहा है, वहां काम में तेजी लाने की बात भी कही गई है। वित्तमंत्री के मेट्रो को लेकर की गई घोषणा के बाद इंदौर में चल रहे मेट्रो के काम की पड़ताल की गई, तो पता चला कि पिछले 27 महीने में 5.29 किमी ट्रैक तैयार होने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन यहां जनवरी महीने से यानी 26 माह गुजरने के बाद यहां पिलर खड़े किए जाने का काम शुरू हुआ है।
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इंदौर मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट (Indore Metro Train Project) की गति बहुत धीमी है। यहां 27 माह में 5.29 किमी ट्रैक बनना था, लेकिन 26 माह बाद एक पिलर तैयार होता नजर आया है। एमआर-10 पर कुमेड़ी के पास यह पिलर तैयार हुआ है। मेट्रो ट्रेन के कुल 31.55 किमी के रूट में से नवंबर 2018 में 5.29 किमी रूट का टेंडर और वर्कऑर्डर हुआ था, लेकिन ठेकेदार कंपनी दिलीप बिल्डिकॉन और जनरल कंसल्टेंट के विवाद और अधिकारियों की सुस्ती के कारण प्रोजेक्ट में देरी हुई।
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कॉन्ट्रैक्टर को कुमेड़ी से मुमताज बाग (शहीद पार्क) तक के रूट पर वाया डक्ट ये रूट तैयार करना था। यह अवधि फरवरी में पूरी हो रही है। हालांकि पिछले महीने ही सरकार के हस्तक्षेप के बाद दिलीप बिल्डिकॉन की 127 ड्राइंग डिजाइन को जनरल कंसल्टेंट ने अप्रूव किया है। इस वाया डक्ट में 181 से ज्यादा पिलर तैयार होने हैं। इनमें 43 पिलर के लिए पाइलिंग हो चुकी है। अब कंपनी द्वारा उन पर पाइल कैप कर पिलर खड़े करने का काम शुरू किया गया है। दो साल बाद आखिरकार मेट्रो के पहले पिलर खड़े होने शुरू हुए हैं।
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इंदौर और भोपाल (Indore and Bhopal) में मेट्रो बनाने वाली कंपनी और जनरल कंसल्टेंट एक ही हैं, फिर भी इंदौर का काम दोनों में विवाद के कारण पिछड़ गया। पड़ताल में सामने आया है, भोपाल में भोपाल मेट्रो में जनरल कंसल्टेंट और दिलीप बिल्डिकॉन के लोग साइट ऑफिस में ही साथ बैठकर काम करते हैं। हर साइट पर दोनों के इंजीनियर मौके पर खड़े रहकर काम करवाते हैं। इंदौर में सुपर कॉरिडोर पर दिलीप बिल्डिकॉन और जनरल कंसल्टेंट का साइट ऑफिस है। यहां जनरल कंसल्टेंट का एक भी अधिकारी नहीं बैठता। यही वजह है, तालमेल ठीक नहीं होने के कारण काम में तेजी नहीं आ पा रही थी।
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मार्च से लेकर दिसंबर तक इस तरह से टलता रहा काम
- मार्च-अप्रैल में लॉकडाउन के बाद ही दिलीप बिल्डिकॉन और जनरल कंसल्टेंट के बीच विवाद शुरू हो गए। काम रुका। फिर स्थिति ये हो गई कि दोनों एक-दूसरे के साथ काम करने को राजी नहीं थे। मुद्दा जनरल कंसल्टेंट के 127 ड्राइंग-डिजाइन रोकने व सॉइल टेस्ट की रिपोर्ट न देने का था।
- 2 सितंबर को निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से दोनों कंपनियों के साथ बात की। 9 सितंबर से प्रोजेक्ट फिर शुरू करने की बात कही, लेकिन विवाद न सुलझने से मामला अटका रहा।
- 9 को भी काम शुरू नहीं हुआ, फिर बातचीत हुई और अगली तारीख 15 सितंबर तय की गई, तब भी वही हालात बने रहे।
- 18 सितंबर को दिलीप बिल्डिकॉन ने कहा कि उसे मशीनें मोबिलाइज करने में 45 दिन लगेंगे, वह 2 नवंबर से काम शुरू कर देगी। इसके बावजूद यथास्थिति बनी रही।