
भोपाल. कोरोना आपदा में अनाथ बच्चों को लेकर लिए गए शिवराज सरकार के फैसले की तारीफ उनके विरोधी भी कर रहे हैं. कांग्रेस के कुछ नेताओं के बाद अब महाराष्ट्र में शिवसेना के मुखपत्र सामना ने भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तारीफ की है. सामना के संपादकीय में लिखे गए लेख में प्रदेश सरकार के इस फैसले को सराहनीय कदम करार दिया गया है.
सामना ने लिखा है कि अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों के लिए मासिक पेंशन की घोषणा के लिए शिवराज सरकार की तारीफ की जानी चाहिए. यह एक ऐसा फैसला है जो अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श हो सकता है. शिवसेना ने सामना में लिखा कि राज्य और केंद्र सरकारों को ऐसे बच्चों के बारे में सोचना चाहिए जो कोरोना के कारण अनाथ हो गए थे. सरकार को इन अनाथ बच्चों का अभिभावक बनकर उनकी देखभाल करनी होगी.
लिखा- मप्र सरकार का फैसला मार्गदर्शक
सामना में लिखा है कि कोरोना आपदा के बीच मध्य प्रदेश सरकार की ओर से लिया गया एक फैसला देश के लिए मार्गदर्शक है. कोरोना में अपने परिजनों को खोने की वजह से अनाथ हुए बच्चों को हर महीने 5000 पेंशन देने का निर्णय मध्य प्रदेश सरकार ने लिया है. इस मानवीय फैसले के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार की जितनी सराहना की जाए उतनी कम है. महाराष्ट्र में भी इस विषय पर चर्चा हुई, लेकिन मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने इस मसले की अनदेखी करने के बजाय अनाथ बच्चों को पेंशन देने का ऐलान कर दिया. पेंशन देने के साथ ही इन बच्चों को मुफ्त शिक्षा की जिम्मेदारी भी सरकार उठाएगी.
क्या है एमपी सरकार की योजना
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने कोरोना में अपने परिजनों को खोने की वजह से अनाथ हुए बच्चों की मदद करने का फैसला किया है. इसके तहत जिन बच्चों ने अपने माता-पिता या अभिभावकों को कोरोना में खोया है उन्हें सरकार मुफ्त शिक्षा देगी. साथ ही परिवार को 5,000 रुपए मासिक पेंशन देने का फैसला भी सरकार की ओर से किया गया है. इसी फैसले को लेकर सामना में शिवराज सरकार की तारीफ में पुल बांधे गए हैं.
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