
भिलाई। भिलाई (Bhilai) इस्पात संयंत्र में फिर एक बड़ा हादसा हुआ। पंप हाउस -1 जहां से पॉवर प्लांट-1 को पानी आपूर्ति की जाती है, उसकी पाइपलाइन फूट गई। इससे 25 फीट गहरे पंप हाउस में पानी भर गया। चार वर्टिकल पंप भी डूब गए। खतरे को भांपते हुए पंप हाउस में मौजूद ऑपरेटर डी पटनायक अपने सहयोगी ठेका श्रमिक के साथ तत्काल बाहर निकल आए। खबर मिलते ही एहतियातन पंप हाउस- 1 के सभी पंप बंद कर दिए गए। हालांकि इसमें जनहानि नहीं हुई, लेकिन प्रबंधन दिनभर हलाकान रहा। पॉवर प्लांट- 1 में बिजली के साथ-साथ ब्लास्ट फर्नेस मेें हॉट मेटल का उत्पादन भी बाधित हुआ। घटना सोमवार-मंगलवार की तड़के 3.45 बजे की है।
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फायर बिग्रेड की मदद ली
मिली जानकारी के अनुसार नॉन रिटर्न वॉल्व (एनआरवी) पाइप लाइन करीब डेढ़ फीट लीकेज हो गई। इससे पीपी-1 के टरबाइन से पानी वापस पंप हाउस में आने लगा। पंप हाउस के सभी पंप के गेट बंद करने के बाद भी पीपी-1 से पानी आने का सिलसिला मंगलवार की देर रात तक जारी रहा। पानी निकालने प्रबंधन को बड़ी मशक्कत करनी पड़ी। अग्रिशमन विभाग के छह वाहन पानी निकालने में लगाए गए थे, बावजूद जितना पानी पंप हाउस से निकलता उतनी ही रफ्तार से पानी वापस भर रहा था।
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पॉवर प्लांट-1 में बिजली उत्पादन प्रभावित
भिलाई इस्पात संयंत्र के कैप्टिव पॉवर प्लांट में पुराने पॉवर एंड ब्लोइंग स्टेशन शामिल हैं, जिसे पीपी-1 के रूप में जाना जाता है। 51 मेगावॉट इसकी स्थापित क्षमता है, लेकिन संयंत्र प्रबंधन फिलहाल जरूरत के मुताबिक अभी लगभग 20 मेगावॉट बिजली इससे उत्पादित कर रहा था। टरबाइन के लिए पानी आपूर्ति प्रभावित होने से तीनों पालियों में यहां बिजली उत्पादन भी पूरी तरह बाधित रहा।
लीकेज पर नहीं दिया ध्यान
कर्मियों के मुताबिक भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना के साथ ही पॉवर प्लांट- 1 भी स्थापित है। यह संयंत्र की सबसे पुरानी इकाइयों में से एक है। पाइप लाइन से लीकेज की शिकायत कई बार हुई, लेकिन जिम्मेदारों ने ध्यान नहीं दिया और मंगलवार को यह हादसा हो गया।
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4 ब्लास्ट फर्नेस को कर रहे अल्टरनेट रेगुलेट
हादसे का असर संयंत्र में हॉट मेटल उत्पादन पर भी पड़ा है। संयंत्र के ब्लास्ट फर्नेस क्रमांक 1, 5 6 और 7 को हॉट एयर फ्लो करने वाले ब्लोअर पीपी-1 से ही चलता है। पीपी-1 में दिक्कत के कारण चारों फर्नेस को अल्टरनेट ब्लोअिंग किया जा रहा है ताकि फर्नेस में किसी तरह की तकनीकी दिक्कत न आए और पूरी क्षमता से न सही, उत्पादन की गति बनी रहे।
देर से पहुंचे फायर ब्रिगेड के जिम्मेदार अफसर
कर्मियों ने बताया कि हादसे की सूचना मिलते ही दमकल की टीम कुछ ही मिनटों में पहुंच गई थी, लेकिन विभाग के जिम्मेदार अफसर करीब चार घंटे बाद सुबह साढ़े सात बजे के लगभग पंप हाउस पहुंचे। इस पर कुछ कर्मचारियों ने नाराजगी भी जताई। ऐसी भी चर्चा रही कि 12 जून 2014 को पंप हाउस-2 में हुए हादसे में बचाव के दौरान अग्रिशमन विभाग के भी अफसर की मौत हो गई थी। लगभग वैसी ही घटना की आशंका जताते हुए अफसर तत्काल मौके पर पहुंचने से कतराए होंगे। कर्मियों का कहना है कि सेल व संयंत्र प्रबंधन को इस बात को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए।
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याद आ गया 12 जून 2014 पंप हाउस का हादसा
12 जून, 2014 को संयंत्र के पंप हाउस-2 में शाम 5.30 बजे ऐसे ही पाइप लाइन फूट गई थी, लेकिन वह फर्नेस से जुड़ा था जहां जहरीली गैस कार्बन मोनो ऑक्साइड का रिसाव हुआ और छह कार्मिकों वाटर मैनेजमेंट के डीजीएम एनके कटारिया, डीजीएम बीके सिंह, असिस्टेंट फायर अफसर रमेश शर्मा, टेक्रीशियन ए. सैमुअल, सीनियर ऑपरेटर वरदराम साहू और ठेका श्रमिक विकास वर्मा की जान चली गई। लगभग 34 कर्मचारी-अधिकारी घायल हो गए थे। जनसंपर्क विभाग, भिलाई इस्पात संयंत्र ने बताया कि पंप हाउस क्रमांक-1 पावर प्लांट को पानी की आपूर्ति करता है। 8 मार्च की रात लगभग 4 बजे पाइप लाइन से पानी का रिसाव होने पर एहतियातन पंप हाउस क्रमांक- 1 के सभी पंप बंद कर दिए गए। अतिरिक्त पंप के माध्यम से पावर प्लांट क्रमांक-1 में पानी की आपूर्ति जारी रखी गई। पंप हाउस क्रमांक-1 में रखरखाव का काम प्राथमिकता पर लिया गया है।