इटावा. प्रदेश में समाजवाद आंदोलन का प्रमुख केंद्र माने जाने वाले मुलायम के गढ़ इटावा (Etawah) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के नाम पर बीजेपी (BJP) को चुनाव लड़ना महंगा पड़ा गया है. जिला पंचायत सदस्य (Zila Panchayat Chunav) के आये नतीज़ों में एकमात्र सीट मिलने से बीजेपी की खासी किरकिरी हुई है. चुनाव से पहले बीजेपी ने इटावा जिला पंचायत अध्यक्ष सीट पर अपना प्रतिनिधि बैठाने का दावा बड़े ही जोरशोर से किया था. लेकिन जब चुनाव परिणाम आए तो पैरों से जमीन खिसक गई.
दरअसल, पंचायत चुनाव शुरू होने के साथ ही सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के तमाम छोटे-बड़े नेताओं ने इस बात का दावा करते दिखे थे कि 1989 से मुलायम परिवार के कब्जे वाले इटावा जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर इस बार पार्टी कब्जा होगा। इटावा जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर काबिज होने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने बड़े पैमाने पर तैयारियां की थी. खुद भारतीय जनता जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह इटावा दौरे के दौरान इस बात का संकेत जिला इकाई के अध्यक्ष अजय प्रताप धाकरे समेत सभी अन्य पदाधिकारियों को देकर गए थे कि हर हाल में इस दफा पार्टी के प्रतिनिधि को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाना है.
लेकिन जब भारतीय जनता पार्टी की ओर से जिला पंचायत सदस्य पद के टिकटों का वितरण किया गया उसके बाद से इस बात की चर्चा राजनीतिक हलकों में होने लगी कि जो सूची पार्टी की ओर से जारी की गई है, उस सूची में कोई भी ऐसा प्रमुख उम्मीदवार दिखाई नहीं दे रहा जो जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित होने की स्थिति में हो. बीजेपी की इस सूची को लेकर के कई तरह के सवाल भी राजनीतिक हलकों में खड़े होते हुए देखे गए. पार्टी को सबसे बड़ा झटका उस समय लगा जब पूर्व विधायक शिव प्रसाद यादव जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव से पीछे हट गए.
स्थानीय नेताओं पर भरोसा न करना पड़ा महंगा
असल में भारतीय जनता पार्टी के पास पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखने वाला कोई ऐसा प्रभावित बड़ा नेता नहीं रहा है जो जिला पंचायत चुनाव में बीजेपी की ओर से प्रमुख भूमिका अदा कर सके. भारतीय जनता पार्टी के अधिकाधिक नेताओं के दिमाग में यह बात घर कर गई थी कि वो पंचायत चुनाव को भी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम पर बड़ी आसानी से जीत लेंगे, लेकिन यही बात भाजपा नेताओं के लिये मुसीबत का सबब बन गई. क्योंकि जिला पंचायत चुनाव में लोगों से व्यक्तिगत जुड़ाव अहम होता है. यही वजह है कि अभी तक आए रुझान या नतीजों में भी ऐसी ही तस्वीर सामने आ रही है कि भारतीय जनता पार्टी का कोई भी महत्वपूर्ण जिला पंचायत सदस्य पद का प्रतिनिधि जीतता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है.
अखिलेश और शिवपाल के साथ का दिखा असर
भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों के बुरी तरह से पटखनी की बात तब ओर शुरू हो गयी जब प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने अपने भतीजे अभिषेक यादव को एक बार फिर से इटावा जिला पंचायत का अध्यक्ष बनाना तय कर लिया. शिवपाल सिंह यादव और अभिषेक यादव के गठजोड़ के साथ ही भाजपा की लड़ाई कमजोर पड़ गयी. इस गठजोड़ ने भी भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों का बड़ा नुकसान किया है. इसके साथ ही ऐसा भी माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी गठबंधन के उम्मीदवार विजय के रास्ते पर हैं.
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