रीवा: मुकुंदपुर चिडिय़ाघर में बाघों की मौतों के कारण विवादों में घिरे प्रबंधन के बचाव में सीसीएफ रीवा (Rewa) आनंद कुमार सिंह ने चिडिय़ाघर संचालक सहित सभी कर्मचारियों को सख्त हिदायत दी है कि चिडिय़ाघर की खामियों पर किसी से चर्चा न करें। गौरतलब है की कई वन्य प्राणियों की तबीयत नासाज है। इससे जुड़ी सूचनाएं किसी से भी साझा नहीं करने को कहा गया है। चिडिय़ाघर के सुपरविजन का जिम्मा रीवा सीसीएफ के पास है, पर वह वीआइपी दौरों के अलावा यहां नजर नहीं आते।
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यहां बता दें कि आठ महीने में चार बड़े बाघों और तीन शावकों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा रेस्क्यू कर लाए गए तीन तेंदुओं ने भी जान गंवाई है। इधर, चिडिय़ाघर में बाघों की लगताार हो रही मौतों पर पूर्व मंत्री पुष्पराज सिंह ने चिंता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा कि बाघ लोगों की भावनाओं से जुड़ा विषय है। खासतौर पर सफेद बाघों के प्रति विंध्य क्षेत्र के लोगों को विशेष जुड़ाव है।बाघों की असमय हो रही मौतें चिंता का कारण है। पूर्व मंत्री ने कहा कि पहले भी उनकी ओर से चिडिय़ाघर प्रबंधन को सुझाव दिए गए थे, लेकिन इस पर गंभीरता नहीं दिखाई गई।
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बाघों की मौत के मामले पर वन्य प्राणी संरक्षण के पीसीसीएफ आलोक कुमार ने वन विभाग के अधिकारियों और चिडिय़ाघर प्रबंधन के अधिकारियों की सोमवार को ऑनलाइन बैठक ली। उन्होंने लापरवाही पर सभी को जमकर फटकर लगाई और कहा कि जिस प्रोजेक्ट को सरकार मॉडल के रूप में प्रस्तुत करना चाहती है, वह लापरवाही की भेंट चढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे में हमें अन्य कोई चिडिय़ाघर वन्य प्राणी देने को राजी नहीं होगा। इस ऑनलाइन मीटिंग में विधायक राजेंद्र शुक्ल भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि वन्य प्राणियों का उपचार किया जाए।
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