रीवा। राजस्व अभिलेख शुद्धिकरण के लिये दिये गए 15 दिनों में रीवा जिले में राजस्व अभिलेखों का सुधार लक्ष्य के अनुरूप नहीं हो पाया। हालांकि शासन ने अभिलेख सुधार के लिये 15 दिन का और समय दे दिया है। लेकिन जिस गति से अभियान के 15 दिनों में राजस्व अभिलेख में सुधार की गति रही, उससे माना जा रहा है कि अगले 15 दिनों में भी लक्ष्य के अनुरूप अभिलेखों के सुधार की संभावना नहीं है। बताया गया है कि कुछ राजस्व अभिलेख ऐसे हैं, कलेक्ट्रेट कार्यालय। जिसमें 50 प्रतिशत तक सुधार नहीं हो पाया।
उल्लेखनीय है कि जिले में राजस्व अभिलेखों में विभिन्न प्रकार की त्रुटियां है। जिसमें सुधार के लिये शासन ने एक नवम्बर से 15 नवम्बर तक अभियान चलाया था और इसके लिये अभिलेखवार रीवा जिले के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया था लेकिन इस अवधि में राजस्व अभिलेखों का सुधार लक्ष्य के अनुरूप नहीं हो पाया।
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बताया गया है कि भू-स्वामी का प्रकार संशोधन में 67958 प्रकरणों में सुधार का लक्ष्य दिया गया था जिसके विरुद्ध अभी तक 55099 रणों में सुधार नहीं किया जा सका है। रिक्त भू-स्वामी के 21087 प्रकरणों में सुधार करना था जिसमें से 14702 प्रकरण अभी भी शेष बचे हैं। बताया गया है कि कुछ खसरों में भू-स्वामी के नाम प्रदर्शित नहीं हो रहे हैं। अल्फा न्यूमेरिक खसरा में भी लक्ष्य के अनुरूप सुधार नहीं हो पाया।
खसरा क्षेत्रफल सुधार
रीवा जिले में 24960 खसरा क्षेत्रफल सुधार के प्रकरण थे जिसमें से 16836 प्रकरण अभी भी सुधार के लिए शेष बचे हैं। सूत्रों के अनुसार गांव के कुछ खसरों में क्षेत्रफल शून्य है। माना जा रहा है कि पूर्व से ही शून्य क्षेत्रफल वाले कुछ खसरे एनआईसी साफ्ट्वेयर से भू- लेख पोर्टल पर अन्य डाटा के साथ चढ़ा दिये गए। मूल खसरों के बटांक बनाने पर मूल खसरा नंबर डिलीट किया जाना चाहिये था जो नहीं किया गया।
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मूल एवं बटांक खसरा
सक्रिय मूल एवं बटोक खसरा सुधार के 76973 प्रकरण अभी भी शेष बचे हैं। जिले में 100646 प्रकरणे में सुधार किया जाना था। बताया गया है कि खसरो के मूल खसरा नंबर और उनके बटांकन दोनों उपलब्ध हैं। यदि किसी खसरे में खसरा नंबर के दो बटांक हो गए हैं फिर भी दोनों बटांक नंबरों के साथ मूल खसरा नंबर को भी शामिल रखा गया है जिससे ग्राम का क्षेत्रफल अधिक हो रहा है।
मिसिंग खसरा के 203 प्रकरण बचे
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जिले में मिसिंग खसरा के 203 प्रकरण अभी भी बचे हुए हैं। इसमें 568 प्रकरणों में सुधार किया जाना. था। बताया गया है कि कुछ ग्रामों में नक्श एवं खसरों में उपलब्ध भूखण्डों की संख्या में अंतर है। ग्राम की कुल खसरा संख्या नक्शे में उपलब्ध खसरा संख्या से कम है। कुल मिलाकर इन ग्रामों के लिए कुल खसरों का डाटा उपलब्ध नहीं है जबकि नक्शे में वह खसरा नंबर दिख रहा है। इसी तरह फौती नामांतरण के 12062 प्रकरणों में प्रचलित नाम की जगह आधार आधारित नाम किये जाने थे जिसमें से 5806 प्रकरण अभी भी बचे हुए हैं। इतना ही नहीं भू-स्वामी नाम सुधार के भी 3732 प्रकरण बचे हैं। शासन ने 5367 भू-स्वामी नाम सुधार के प्रकरणों का लक्ष्य दिया था।
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