
नई दिल्ली। आरबीआई (Reserve Bank of India) (RBI) की ओर से पिछले कुछ दिनों से लगातार कर्ज (Loan) लेने वालों को सावधान किया जा रहा है। विज्ञापनों, पोस्टर्स, वीडियोज वगैरह के जरिए ये सलाह और जागरूकता संदेश लोगों को दिए जा रहे हैं। आरबीआई के एक पोस्टर में आप देखेंगे कि लोगों से बिना वजह लोन (Loan) लेने से बचने की अपील की गई है। एक पोस्टर में कहा गया है कि जितनी जरूरत हो उतना ही कर्ज लीजिए। यह भी लिखा है कि लोगों को लोन (Loan) की रकम का इस्तेमाल वहीं करना चाहिए जिस मकसद से लोन लिया गया है।
इन संदेशों में यह कहा गया है कि अपने बकाया पर नजर रखें और समय पर भुगतान करते रहें। कर्जदारों को सचेत करने के लिए RBI ने इस कैंपेन को एक नारा दिया है- “आरबीआई कहता है… वित्तीय अनुशासन, चिंता मुक्त जीवन।”
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मौजूदा वक्त में आरबीआई की ओर से जो कैंपेन चलाया जा रहा है उसे अगर गौर से देखें तो उसमें बड़े तौर पर लोगों को लोन लेने में सतर्क रहने बिना वजह लोन न लेने, लोन की रकम का सही इस्तेमाल करने और कर्ज की ईएमआई वक्त पर चुकाने जैसी चीजों पर ज्यादा जोर है।

- कर्ज लेकर स्टॉक मार्केट में पैसा लगा रहे हैं लोग
एक्सपर्ट मानते हैं कि RBI की इस मुहिम के पीछे एक वजह है। जानकारों का मानना है कि ऐसा लग रहा है कि लोग स्टॉक मार्केट में पैसा लगाने के लिए कर्ज की रकम का इस्तेमाल कर रहे हैं और ये एक बड़ा खतरा है। वरिष्ठ अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार कहते हैं, “फाइनेंशियल मार्केट्स में बहुत उछाल दिया गया है। ऐसे में कुछ लोग उधार लेकर मार्केट्स में निवेश कर रहे हैं। RBI के गवर्नर पिछले 4 महीने में कम से कम तीन बार ये बोल चुके हैं कि फाइनेंशियल मार्केट्स अर्थव्यवस्था की सही तस्वीर नहीं दिखा रहे हैं. ऐसे में रिस्क बढ़ रहा है।” प्रो अरुण कहते हैं कि मार्केट में इस वक्त बेहद रिस्क है. ऐसे में तगड़े नुकसान होने के आसार बने हुए हैं।
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- बेहद जोखिम भरा है मार्केट में पैसे लगाना
प्लानअहेड वेल्थ फाइनेंशियल एडवाइजर्स के डायरेक्टर विशाल धवन कहते हैं, “कर्ज की ब्याज दरें बेहद निचले स्तर पर हैं। ऐसे में लोगों को लगता है कि अभी लिया गया कर्ज उन्हें काफी सस्ता पड़ने वाला है। हालांकि, ज्यादातर लोन फ्लोटिंग रेट पर होते हैं और ऐसे में आने वाले वक्त में जब रेट बढ़ेंगे तो लोगों को ज्यादा पैसे चुकाने होंगे। वे कहते हैं कि कई लोगों को लगता है कि वे अभी सस्ता कर्ज लेकर इसे स्टॉक मार्केट में लगा सकते हैं और वहां पर उन्हें ज्यादा मुनाफा हो सकता है। हालांकि रेगुलेटर्स बार-बार लोगों को इस बात की चेतावनी दे रहे हैं कि रिकॉर्ड पर बने हुए मार्केट में पैसे लगाना बेहद जोखिम भरा हो सकता है।
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- NPA बढ़ने का खतरा
धवन कहते हैं कि कई लोगों ने कोविड–19 महामारी के वक्त दिए गए मोरेटोरियम का फायदा उठाकर EMI देना बंद कर दिया और ऐसे लोगों को लगता था कि उनका ब्याज माफ हो जाएगा। जबकि ऐसा नहीं था। वे कहते हैं कि इन्हीं तमाम वजहों और चिंताओं के चलते आरबीआई ग्राहकों को ज्यादा जागरूक बनाने की कोशिश कर रहा है। इसके अलावा छोटे कारोबार भी मुश्किल भरे दौर से गुजर रहे हैं और इस सेक्टर में Loan डिफॉल्ट का खतरा आरबीआई को दिख रहा है।
प्रो कुमार कहते हैं कि पिछले एक साल में कई उद्योग-धंधे मुश्किल भरे दौर से गुजरे हैं। खासतौर पर छोटे कारोबारों एमएसएमई में डिफॉल्ट का खतरा बना हुआ है। इन कारोबारियों के लिए गए कर्ज एनपीए में तब्दील हो सकते हैं. यहां तक कि सेबी, बैंक्स, बीमा रेगुलेटर इरडा और आरबीआई इन सबने पिछले कुछ वक्त में इस तरह के कैंपेन चलाए हैं। इन सबके केंद्र में ग्राहकों की सुरक्षा मुख्य मकसद है।
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आरबीआई ने हाल में ही वित्तीय साक्षरता सप्ताह 2021 पूरा किया है। यह सप्ताह 8-12 फरवरी के बीच मनाया गया। रिजर्व बैंक अभी भी इस कैंपेन में जुटा हुआ है और लोगों को जागरूक कर रहा है। इस बार की RBI की थीम “कर्ज अनुशासन और औपचारिक संस्थानों से कर्ज” रही है। एक अन्य प्रचार में लोगों को सतर्क किया गया है कि उन्हें केवल औपचारिक संस्थानों से ही लोन लेना चाहिए।
RBI ने कहा है कि वित्तीय समावेश और शिक्षा रिजर्व बैंक की विकास की भूमिका के दो अहम तत्व हैं। RBI ने ग्राहकों को शिक्षित करने के लिए 13 भाषाओं में सामग्री तैयार की है। आरबीआई के मुताबिक, “इस कदम का मकसद वित्तीय उत्पादों और सेवाओं को लेकर जागरूकता पैदा करना, अच्छी वित्तीय गतिविधियों, डिजिटलीकरण और ग्राहकों की सुरक्षा है।
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