भोपाल. ईश्वर किसी एक इंसान में कला के कितने रंग कितने रूप दे सकता है. कहानियों में जीवन के रंग और कैनवास पर लकीरों से कहानियां उतार देने वाले प्रसिद्ध साहित्यकार, चित्रकार, पत्रकार प्रभु जोशी (Prabhu joshi) नही रहे. कोरोना (Corona) ने उन्हें भी अपना ग्रास बना लिया. प्रभु जोशी कोरोना से संक्रमित थे और इंदौर में उनका इलाज चल रहा था. दिवंगत चित्रकार प्रभु जोशी का जीवन का कैनवास उपलब्धियों से भरा हुआ है. उनके चित्र लिंसिस्टोन और हरबर्ट में आस्ट्रेलिया के त्रिनाले में प्रदर्शित किए गए. उन्हें गैलरी फॉर केलिफोर्निया (यूएसए) के जलरंग थामस मोरान अवार्ड से नवाज़ा गया. ट्वेंटी फर्स्ट सैंचुरी गैलरी, न्यूयार्क के टॉप सेवैंटी में वे शामिल रहे.
एक शख्सियत-दो कलाकार
प्रभु जोशी की साहित्य में भी कम उपलब्धियां नहीं थीं. मध्यप्रदेश के बहुकला केन्द्र भारत भवन से चित्रकला और मध्य प्रदेश साहित्य परिषद से कथा-कहानी के लिए अखिल भारतीय सम्मान से उन्हें नवाज़ा गया. साहित्य के लिए मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग ने गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप उन्हें दी. वो ऐसे एक बिरले कलाकार थे जिनके भीतर चित्रकार भी था और कहानीकार भी.
सफलता का कैनवास
प्रभु जोशी की रचनाशीलता ऐसी कि देश से लेकर दुनिया तक हर मंच पर वे सराहे गए. बर्लिन में हुए जनसंचार की अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा में उनके आफ्टर ऑल हाउ लांग रेडियो कार्यक्रम को जूरी का विशेष पुरस्कार दिया गया था.उन्होने ‘इम्पैक्ट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ऑन ट्रायबल सोसायटी’ विषय पर जो अध्ययन किया, उसे ‘आडियंस रिसर्च विंग’ के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाज़ा गया.
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