मध्य प्रदेश। भोपाल पुलिस की क्राइम ब्रांच ने ड्रग्स की तस्करी के एक ऐसे नए तरीके का खुलासा किया है जो शायद भारत में पहली बार पकड़ा गया है। उड़ीसा के तस्कर 80 के दशक की फिल्मी स्टाइल में ट्रेन के टॉयलेट की छत में ड्रग्स के पैकेट छुपाकर स्मगलिंग करते थे। कभी कोई पुलिस पार्टी सर्च करने आती बिजी तो हो कभी छत के स्कूल खोल कर नहीं देखती थी।
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भोपाल पुलिस की क्राइम ब्रांच ने दो अलग-अलग कार्रवाई के दौरान 6 स्मगलरों को गिरफ्तार किया है। इनमें से दो तस्कर भोपाल के रहने वाले हैं जबकि चार ओडिशा के नक्सली प्रभावित क्षेत्रों के निवासी हैं। भोपाल पुलिस को डाउट है कि स्मगलिंग का कारोबार नक्सलवाद से जुड़ा हुआ है। नक्सलवादी संगठन अपनी फंडिंग के लिए देशभर में ड्रग्स की तस्करी कर रहे हैं।
एएसपी क्राइम ब्रांच गोपाल धाकड़ ने बताया कि 30 नवंबर 2020 को गैस राहत कॉलोनी निवासी सुशील भारती को 11 किग्रा गांजे के साथ गिरफ्तार किया था। उसे ये गांजा वैष्णव अपार्टमेंट निवासी रोहन उर्फ अमन बच्चा ने दिलवाया था। पुलिस ने 2 दिसंबर को रोहन को भी पकड़ा। पूछताछ में खुलासा हुआ कि उन्हें गांजे की सप्लाई ओडिशा के रायगढ़ निवासी सैयार कोराडो, केशव जाने, राजकुमार कौरड देते हैं।
पुलिस के कहने पर आरोपियों ने इन तीनों को गांजे का एक और ऑर्डर दिया। शुक्रवार को तीनों एक अन्य साथी कुशध्वज के साथ समता एक्सप्रेस से खेप देने भोपाल पहुंचे। यहां मौजूद क्राइम ब्रांच की टीम ने चारों को गिरफ्तार कर लिया। उनके कब्जे से पुलिस ने 21 किग्रा गांजा जब्त किया है। गांजे की कीमत 3.20 लाख रुपए आंकी गई है।
आरोपी पुलिस से बचने के लिए ट्रेन की अलग-अलग बोगियों में बैठकर सफर करते हैं। वे ट्रेन के टॉयलेट की छत के स्क्रू खोलकर गांजे के पैकेट छिपा देते थे। सभी थोड़ी दूर की सीट पर बैठकर टॉयलेट में आने जाने वाले हर यात्री पर नजर रखते थे। पुलिस को उनके पास से मिले मोबाइल में किसी का भी नंबर सेव नहीं मिला है।
यदि संबंधित सप्लायर से उनकी बात नहीं हो पाती थी तो आरोपी उसी ट्रेन से बीना, गुना और झांसी भी पहुंच जाते थे और वहां के सप्लायर्स को माल की डिलीवरी कर देते थे। गांजा लाने वाले सभी आरोपी ओडिशा के रायगढ़ के रहने वाले हैं। पूछताछ में उन्होंने खुलासा किया है कि गांजे की खेप नक्सली क्षेत्र से लाई जाती है।