भोपाल/दमोह. मध्य प्रदेश में damoh उपचुनाव टिकाऊ और बिकाऊ के मुख्य मुद्दे पर लड़ गए. आज आने वाले नतीजे बताएंगे कि इस दंगल का सेहरा किसके सिर बंधेगा. दमोह उपचुनाव में भाजपा के राहुल सिंह लोधी तो वहीं कांग्रेस के अजय टंडन की किस्मत का फैसला आज EVM के पिटारे से खुलेगा. गौरतलब है कि दमोह विधानसभा सीट पर 17 अप्रैल को चुनाव हुए थे. इसमें कुल 59.81 फ़ीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था.
कोरोना संकट काल में हुए इस उपचुनाव में 2018 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले करीब 15 फ़ीसदी कम मतदान हुआ है. 239808 मतदाताओं वाली इस विधानसभा सीट में कुल 359 मतदान केंद्रों में वोट डाले गए थे जिस की मतगणना का काम आज किया जाएगा. दमोह उपचुनाव की मतगणना के कुल 26 राउंड रखे गए हैं जिसमें तीन कमरों में 14 टेबल पर मतगणना की जाएगी.
दोनों पार्टियों के लिए बदल गए थे समीकरण
मतगणना का काम सुबह 8:00 बजे से शुरू होगा. गौरतलब है कि उपचुनाव के इस दंगल में दो महिलाओं समेत कुल 22 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे. लोधी वोट बैंक की खासी दखल वाली इस विधानसभा सीट में 2018 के पहले लगातार 28 सालों तक भाजपा का कब्जा रहा जिसमें मध्यप्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया लगातार इस सीट से जीत दर्ज कराते आए. लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से ही मैदान में उतरे राहुल सिंह लोधी ने उन्हें शिकस्त दी थी.
बहरहाल पिछले साल बदले समीकरण और कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हुए राहुल सिंह लोधी पर भाजपा ने दांव लगाया है. इस बीच भाजपा को इस उपचुनाव में खासी मशक्कत भी करनी पड़ी क्योंकि जयंत मलैया और उनके बेटे पार्टी के इस फैसले से पहले तो नाखुश थे लेकिन बाद में उन्हें मना लिया गया. खास बात यह है कि अब तक के इतिहास में हर बार विधानसभा चुनाव के परिणामों में जीत का अंतर हमेशा मामूली ही रहा है.
हार-जीत का फासला बेहद कम
2018 की बात कर ले तो बीजेपी प्रत्याशी जयंत मलैया कि भले ही हार हुई हो लेकिन यह हार बड़े ही कम अंतर से थी. पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया को 2018 के विधानसभा चुनाव में 78199 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के राहुल सिंह लोधी को 78997 वोट मिले थे. वहीं 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से जयंत मलैया को जीत मिली थी लेकिन यह जीत महज 5000 वोट से ही मिली थी. इसी तरह 2008 के विधानसभा चुनाव में भी जयंत मलैया मात्र 130 वोटों से ही जीते थे. इस चुनाव में हार जीत में सिर्फ 0.1 फ़ीसदी वोटों का ही अंतर रहा.
इन मुद्दों पर लड़ा गया था ये उपचुनाव
बहरहाल 2021 में हो रहे उपचुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा टिकाऊ और बिकाऊ का है. क्योंकि, राहुल सिंह इसके पहले कांग्रेस से चुनाव लड़कर जीत चुके थे. लेकिन, कमलनाथ सरकार में किए गए मेडिकल कॉलेज के वादे को पूरा न करने पर उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया और भाजपा का दामन थाम लिया. टीकाऊ-बिकाऊ के अलावा मेडिकल कॉलेज, बेरोजगारी और पलायन मुख्य मुद्दे रहे हैं.
बहरहाल 2021 में हो रहे उपचुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा टिकाऊ और बिकाऊ का है. क्योंकि, राहुल सिंह इसके पहले कांग्रेस से चुनाव लड़कर जीत चुके थे. लेकिन, कमलनाथ सरकार में किए गए मेडिकल कॉलेज के वादे को पूरा न करने पर उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया और भाजपा का दामन थाम लिया. टीकाऊ-बिकाऊ के अलावा मेडिकल कॉलेज, बेरोजगारी और पलायन मुख्य मुद्दे रहे हैं.
इसके पहले 28 विधानसभा सीटों पर सूबे के मुखिया शिवराज का जादू चला था और भाजपा ने एक बार फिर प्रदेश की सत्ता में वापसी की थी. बहरहाल इस बार भी क्या जनता का भरोसा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ है या नहीं इसका फैसला आज होने जा रहा है. जो भी हो दमोह उपचुनाव के परिणामों से कई दिग्गजों की साख भी दांव पर लगी हुई है. 2021 में संक्रमण के दौर में हुए चुनावी दंगल से क्या भाजपा का कमल एक बार फिर खिलेगा या कांग्रेस के हाथ भी कुछ आ पाएगा यह देखना दिलचस्प होगा.
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