विशेषज्ञों के अनुसार टीका लगाने के बाद लोगों में एंटीबॉडी विकसित होगी, लेकिन कितने दिन प्रभावी रहेगी, यह तय नहीं है। अनुमान है कि एक बार टीका लगवाने पर इसका प्रभाव एक साल तक रहेगा। इसके बाद पुन: टीका लगवाना पड़ेगा।
पल्मोनरी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. गौरव गुप्ता के अनुसार जिस तरह इंफ्लूएंजा का टीका हाई रिस्क मरीजों को हर साल लगाना पड़ता है, इसी तरह कोविड टीका भी तय समय के बाद दोबारा लगवाना होगा। अभी यह परीक्षण स्तर पर है। इसलिए तय नहीं है कि टीका कितने दिन तक प्रभावी रहेगा? वर्तमान में भोपाल में निजी कंपनी द्वारा परीक्षण के तौर पर टीके के दो डोज लगाए जा रहे हैं। इसमें पहला डोज लगाने के 28 दिन बाद दूसरा डोज लगाया जा रहा है।
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एसिम्प्टोमैटिक मरीजों में एंटीबॉडी कम समय के लिए कम लेवल की डेवलप होती है। इसके कारण उन्हें दोबारा संक्रमण का खतरा बना रहता है। वहीं सिम्प्टोमैटिक मरीजों में एंटीबॉडी का स्तर ज्यादा होता है और यह ज्यादा समय तक बनी रहती है। किसी व्यक्ति को टीका लगाने के बाद दो से तीन सप्ताह में उसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है। ऐसे में टीका लगाने के बाद कोई यह नहीं कह सकता कि अगले दिन उसे कोरोना नहीं होगा।
मास्क पहनना जरूरी
टीका लगवाने के बाद जब तक आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह से नहीं विकसित हो जाती, वायरस का संक्रमण आपको होने के बाद उसे दूसरे अन्य व्यक्ति को होने का खतरा रहेगा। इस स्थिति में आप वायरस के संवाहक बन सकते हैं। इसलिए टीका लगाने के बाद भी मास्क पहनना जरूरी होगा।
दो तरह के टीके
एमआरएनए टीका : ये टीका शरीर में कैप्सूल के रूप में जाता है। यह कोरोना पर पाए जाने वाले स्प्राइक प्रोटीन को बनाता है। इसके कारण शरीर के अंदर एंटीबॉडी बनना शुरू हो जाती है। जब कोविड का वायरस में संपर्क में आता है तो ये एंटीबॉडी नष्ट कर देती है। इसे -80 डिग्री सेल्सियस पर रखना पड़ता है।
एडीनो वैक्टर टीका : एडीनो वायरस के सरफेस का उपयोग कर यह टीका बनाया जाता है। ये भी एंटीबॉडी तैयार करता है लेकिन यदि किसी को पहले से एडीनो वायरस का प्रभाव है तो ये टीका ज्यादा कारगर नहीं होगा। इसे -2 से -8 डिग्री सेल्सियस तक रखा जा सकता है।
एक साल तक रहेगा प्रभाव
टीका अभी परीक्षण स्तर पर है। फिर भी जो व्यक्ति टीका लगवाएगा, उसमें एक साल तक प्रभाव जरूर रहेगा। आने वाले समय में पता चलेगा कि व्यक्ति को दोबारा टीका लगाने की जरूरत कब होगी।