कृषि एवं फसल की जानकारी
भारत की भांति मध्यप्रदेश भी एक कृषि प्रधान राज्य हैं। मध्य प्रदेश की लगभग 70% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। मध्य प्रदेश के लगभग 49% क्षेत्रफल पर कृषि होती है। मध्य प्रदेश की सर्वाधिक सिंचित फसल गेहूं है।मध्यप्रदेश में कृषि उद्योग विकास निगम द्वारा प्रदेश के पहले सैलरीज जैविक खाद संयंत्र की स्थापना भोपाल में की है।
मध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 1997 में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए इसे कृषि का दर्जा प्रदान किया है। मध्यप्रदेश में कृषि जोतो का औसत आकार 2.2 हेक्टेयर है। मध्य प्रदेश का खाद्यान्न उत्पादन में देश का चौथा स्थान है चावल मध्य प्रदेश की सर्वाधिक महत्वपूर्ण फसल है। देश के कुल सोयाबीन उत्पादन का लगभग 55 से 60% मध्यप्रदेश में होता है। मध्यप्रदेश में कृषि विभाग का नाम अब किसान कल्याण तथा कृषि विभाग हो गया है।
मध्य प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद स्थिर भावो पर आधार वर्ष 2011 – 12 में 315562 करोड रुपए थी, जो वर्ष 2017 – 18 (त्वरित) एवं 2018 – 19 (अग्रिम) में क्रमश: बढ़कर 500151 करोड़ एवं 533362 करोड़ होने का अनुमान है। जो आधार वर्ष से क्रमश 58.50 एवं 69.65% अधिक है। वर्ष 2018 – 19 में अग्रिम अनुमानों के अनुसार राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में वर्ष 2017 – 18 त्वरित की तुलना में प्रचलित भावो पर 11.13% तथा स्थिर भाव पर 7.04% की वृद्धि रही। वर्ष 2018 – 19 (अग्रिम) के दौरान विगत वर्ष से प्राथमिक क्षेत्र में 5.48% की वृद्धि आंकलित की गई है।
इसी प्रकार द्वितीय एवं तृतीय क्षेत्र में क्रमश 5.71% की एवं 7.06% की वृद्धि अनुमानित रही। स्थिर भावो के आधार पर प्रति व्यक्ति शुद्ध आय वर्ष 2017 – 18 में ₹55677 थी, जो बढ़कर वर्ष हजार 2018 – 19 में अग्रिम में रुपए 58706 हो गई, जो गत वर्ष की तुलना में 5.44% की वृद्धि दर्शाती है। प्रचलित भावो के आधार पर राज्य की प्रति व्यक्ति आय में ₹82941 से बढ़कर वर्ष 2018 – 19 अग्रिम में ₹90998 हो गई, जो 9.71% की वृद्धि दर्शाती है।
नीति आयोग भारत सरकार द्वारा जारी सतत विकास लक्ष्यों के तुलनात्मक विश्लेषण के अनुसार प्रदेश में गरीबी के स्तर पर 29 राज्यों में से 27 वे स्थान पर है। राज्य की अर्थव्यवस्था में वर्ष 2017 – 18 के त्वरित अनुमानों के अनुसार फसल क्षेत्र का योगदान 25.6% है। वर्ष 2017 – 18 में कुल बोया गया क्षेत्र 251.14 लाख हेक्टेयर है। शुद्ध बोया गया क्षेत्र 151.191 लाख हेक्टेयर है।
शुद्ध बोये गये क्षेत्र में शुद्ध संचित क्षेत्र का प्रतिशत 69.6 है। मध्य प्रदेश मैं अंगूर की खेती के लिए मशहूर रतलाम जिले में केंद्र सरकार ने अंगूर अनुसंधान केंद्र स्थापित किया है। प्रदेश सरकार ने की खेती पर प्रतिबंध लगाने व किसानों को वैकल्पिक खेती एवं अन्य व्यवसाय से जुड़ने की कार्य योजना पर निर्णय लिया है। मध्य प्रदेश में कुल कृषि योग्य भूमि का 40% भाग एक फसली तथा 70% भाग द्वी-फसली कृषि भूमि के अंतर्गत आता है। सोयाबीन, चना, अलसी, दलहन, के उत्पादन में प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है। ज्वार, तिल, तिलहन व अरहर के उत्पादन में प्रदेश देश में द्वितीय स्थान है।
फसलों के आधार पर मध्य प्रदेश को कृषि क्षेत्रों में बांटा गया है –
- ज्वार व गेहूं का क्षेत्र – बघेलखंड तथा मालवा के पठार का मध्य भाग, ग्वालियर, मुरैना, भिंड |
- गेहूं व कपास का क्षेत्र – सीहोर, देवास, राजगढ़, शाजापुर, मंदसौर, उज्जैन |
- कपास का क्षेत्र – पश्चिमी मध्य प्रदेश
- कपास व चावल का क्षेत्र – खंडवा
- ज्वार, कपास, चावल का क्षेत्र – बैतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी |
- चावल का क्षेत्र – बघेलखंड क्षेत्र ( जबलपुर, सीधी, सिवनी, बालाघाट, मंडला, शहडोल)
उपयोग के आधार पर वर्गीकरण
- व्यापारिक फसलें – सोयाबीन, तिल, अलसी, पटसन, गन्ना, कपास आदि।
- खाद्यान फसले – तिलहन, दाले, चना, बाजरा, मक्का, ज्वार, चावल, गेहूं ।
कृषि विभाग द्वारा मध्य प्रदेश को पांच कृषि प्रदेशों में विभाजित किया गया है –
- पश्चिम में काली मिट्टी का प्रदेश – खरगोन, खंडवा, इंदौर, उज्जैन, देवास, धार, हरदा, बड़वानी, झाबुआ, रतलाम, नीमच, मंदसौर आदि शामिल है।
- उत्तर में गेहूं, ज्वार का प्रदेश – टीकमगढ़, छतरपुर, गुना, शिवपुर, दतिया, ग्वालियर, भिंड, श्योपुर, मुरैना जिले आते हैं।
- मध्य में गेहूं का मालवा प्रदेश – दमोह, सागर, विदिशा, रायसेन, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, सीहोर, भोपाल जिले शामिल है।
- गेहूं, चावल का प्रदेश – सिवनी, जबलपुर, उमरिया, कटनी, सतना, पन्ना जिले आते हैं।
- संपूर्ण पूर्वी मध्य प्रदेश चावल का प्रदेश – बालाघाट, मंडला, डिंडोरी, अनूपपुर, शहडोल, सीधी, रीवा आदि जिले शामिल है।