मध्य प्रदेश भौगोलिक स्थिति एवं विस्तार
देश हृदय प्रदेश दक्षिण के पठार का भाग है, जिसकी उत्तरी सीमा पर जमुना पार का जलोढ़ मैदान आरंभ हो जाता है, तो पश्चिम की और चंबल नदी पार करते ही रावली की श्रेणियां मिलती है। पूर्व में बघेलखंड का पठार है, तो दक्षिण में ताप्ती नदी को पार करने पर प्रायद्वीप पठार प्रारंभ हो जाता है। कर्क रेखा प्रदेश को दो बराबर भागों में बांटती हुई, नर्मदा नदी के समानांतर गुजरती है।
भौतिक संरचना की दृष्टि से भारत के पठार का उत्तरी भाग मध्य प्रदेश के अंतर्गत आता है। प्रदेश के पश्चिमी भाग में ढक्कन ट्रैप की चट्टानों तथा पूर्वी भागों में विंध्याचल समूह पाया जाता है। भू वैज्ञानिक दृष्टि से मध्यप्रदेश सर्वाधिक प्राचीनतम गोंडवाना लैंड का भाग है। कर्क रेखा प्रदेश के 14 जिलों – शहडोल, उमरिया, कटनी, जबलपुर, दमोह, सागर, रायसेन, विदिशा, भोपाल, राजगढ़, अगर मालवा, रतलाम, उज्जैन एवं अनूपपुर से होकर गुजरती है।
मध्य प्रदेश की सीमा 5 राज्य यथा – उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान को छूती है। राज्य के उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, पश्चिम में गुजरात व राजस्थान तथा दक्षिण में महाराष्ट्र स्थित है। राज्य की सर्वाधिक सीमा राजस्थान (1600 किलोमीटर) को तथा सबसे कम सीमा गुजरात को छूती है।
मध्य प्रदेश की दक्षिणी सीमा ताप्ती तथा उत्तरी सीमा चंबल नदी द्वारा निर्धारित होती है। राज्य का कुल क्षेत्रफल 3,08,252 वर्ग किलोमीटर है। मध्य प्रदेश भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 9.3% हिस्सा अपने में समाहित किए हुए है। राज्य की पूर्व से पश्चिम की चौड़ाई 870 किलोमीटर है जबकि उत्तर से दक्षिण की लंबाई 605 किलोमीटर है। मध्य प्रदेश की सीमा को छूने वाले सर्वाधिक 13 जिले उत्तर प्रदेश के हैं जो निम्न है – चित्रकूट, सोनभद्र, महोबा, मिर्जापुर, इलाहाबाद, जालोर, बांदा, हमीरपुर, ललितपुर, झांसी, उरई, इटावा और आगरा। इस क्रम में दूसरा स्थान राजस्थान का है जिसके 10 जिले – करौली, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, कोटा, धौलपुर, सवाई माधोपुर, बांरा, झालावाड़, प्रतापगढ़ व बांसवाड़ा मध्य प्रदेश की सीमा को छूते हैं।
इसी तरह महाराष्ट्र के 9 जिले – गोंदिया, नंदुरबार, जलगांव, बुलढाणा, भंडारा, नागपुर, अमरावती, धुले व भुसावल। छत्तीसगढ़ के 7 जिले – राजनांदगांव, बलरामपुर, कबीरधाम, बिलासपुर, मंगेली, कोरिया और सूरजपुर तथा गुजरात के 2 जिले (दाहोद व बड़ोदरा) मध्य प्रदेश की सीमा को छूते हैं।
मध्य प्रदेश की सीमा को उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक 13 जिले स्पर्श करते हैं उसी प्रकार मध्यप्रदेश के भी सर्वाधिक 13 जिले (भिंड, मुरैना, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, अशोकनगर, शिवपुरी, दतिया, सिंगरोली, रीवा, सतना व पन्ना) उत्तर प्रदेश की सीमा को छूते हैं। इसी तरह प्रदेश के 10 जिले (मुरैना, श्योपुर, शिवपुरी, गुना, राजगढ़, अगार, नीमच, मंदसौर, रतलाम और झाबुआ) राजस्थान की सीमा को छूते हैं। 9 जिले (बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा, बैतूल, बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, बड़वानी व अलीराजपुर) महाराष्ट्र की, 7 जिले (बालाघाट, मंडला, डिंडोरी, अनूपपुर, शहडोल, सिंगरोली और सीधी) छत्तीसगढ़ की तथा 2 जिले (अलीराजपुर और झाबुआ) गुजरात की सीमा को स्पर्श करते हैं। फिजियोग्राफिक मैप ऑफ इंडिया में मध्यप्रदेश को 3 वृहद प्रदेशो में बांटा गया है, जो क्रमश: मध्य उच्च प्रदेश, पूर्वी पठार तथा उत्तरी दक्कन के नाम से पहचाने जाते हैं।
विभाजन से पूर्व मध्य प्रदेश 9 प्राकृतिक भागों में बांटा था, लेकिन विभाजित मध्य प्रदेश में केवल 7 प्राकृतिक भाग है। प्रदेश के 7 प्राकृतिक भाग क्रमश: मध्य भारत का पठार, बुंदेलखंड का पठार, मालवा का पठार, रीवा – पन्ना का पठार, नर्मदा सोन की घाटी, सतपुड़ा – मैकल की श्रेणी तथा बघेलखंड का पठार है।
मध्य प्रदेश के प्रमुख भौतिक प्रदेश
मालवा के पठार का क्षेत्रफल 18,222 वर्ग किलोमीटर है। यह सम जलवायु पाई जाती है। इसमें क्षेत्र में माही, चंबल, काली सिंध, पार्वती, बेतवा नदियां आती है। यह गहरी काली मिट्टी पाई जाती है। इस क्षेत्र में 100 से125 सेमी. वर्षा होती है। इस पठार पर भोपाल, धार, गुना, रतलाम, झाबुआ, मंदसौर, राजगढ़, सागर, रायसेन, विदिशा, शाजापुर, सीहोर, देवास, इंदौर, उज्जैन जिले आते हैं।
नर्मदा सोन घाटी का छेत्रफल 86.000 वर्ग किलोमीटर है। इस क्षेत्र में मानसूनी जलवायु पाई जाती है। इसे में नर्मदा, सोन, तवा, दूधी नदिया पाई जाती है। यह पर काली, गहरी काली मिट्टी पाई जाती है इस क्षेत्र में 125 सेंटीमीटर वर्षा होती है। इस क्षेत्र में देवास, सीहोर, धार, खरगोन, खंडवा, हरदा, रायसेन, होशंगाबाद, नरसिंहपुर, जबलपुर, डिंडोरी, मंडला, बड़वानी, शहडोल जिले हैं।
बघेलखंड का पठार का क्षेत्रफल 21,577 वर्ग किलोमीटर है। क्षेत्र में मानसूनी वर्षा होती है। क्षेत्र में नर्मदा, सोन, जोहिला गोपद, बनास नदिया पायी जाती है। इस क्षेत्र में लाल, पीली बलुई, दोमट मिट्टी पाई जाती है। यह पर 62 से 150 सेमी. तक वर्षा होती है। इस क्षेत्र में डिंडोरी, उमरिया, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, सीधी जिले आते हैं।
मध्य भारत का पठार का क्षेत्रफल 32.896 वर्ग किलोमीटर है। इस क्षेत्र में महाद्वीप ही वर्षा होती है। इस क्षेत्र में चंबल, सिंध, कुनु, पार्वती, क्वारी नदिया पायी जाती है। यह पर जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है। इस क्षेत्र में 25 से 75 सेमी. तक वर्षा होती है। इस क्षेत्र में गुना, शिवपुरी, ग्वालियर, मुरैना, भिंड, श्योपुर, नीमच और मंदसौर का उपरी भाग आता है।
सतपुड़ा मैकल श्रेणी का क्षेत्रफल 34.000 वर्ग किलोमीटर है। यह मानसूनी वर्षा होती है। इस क्षेत्र में तवा, बेतवा, नर्मदा, जोहिला, ताप्ती शक्कर, हिरण नदिया आती है। इस क्षेत्र में काली, छिछली काली मिट्टी पाई जाती है। यह पर 125 से 200 सेमी. तक वर्षा होती है। इस क्षेत्र में डिंडोरी, मंडला, सिवनी, छिंदवाड़ा बालाघाट, बैतूल, बड़वानी, खरगोन, खंडवा जिले आते हैं।
बुंदेलखंड पठार का क्षेत्रफल 23,733 वर्ग किलोमीटर है। यह पर महाद्वीपीय वर्षा होती है। इस क्षेत्र में सिंध, केन, धसान, पहुज, बेतवा नदी है। इस क्षेत्र में काली और लाल मिट्टी का मिश्रण मिलता है। यह पर 75 से 125 सेमी वर्षा होती है। इस क्षेत्र में टीकमगढ़, छतरपुर, दतिया, शिवपुरी तथा ग्वालियर भिंड का कुछ भाग आता है।
रीवा – पन्ना का पठार का क्षेत्रफल 31,955 वर्ग किलोमीटर है। यह महाद्वीपीय वर्षा होती है। इस क्षेत्र में टोंस, केन, सोनार ब्योरमा नदी है। इस क्षेत्र में बलुई, दोमट लाल – पीली मिट्टी पाई जाती है। यह पर 100 से 125 सेमी. तक वर्षा होती है। इस क्षेत्र में रीवा, सतना, पन्ना व दमोह तथा सागर जिले का कुछ भाग आता है।