अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए बांबे हाई कोर्ट ने मीडिया घरानों को इस मामले की रिपोर्टिंग करते समय संयम बरतने की नसीहत दी। कोर्ट ने दो टीवी चैनलों की रिपोर्टिंग को मानहानि वाला बताते हुए कहा, ‘मीडिया ट्रायल से न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप और बाधा उत्पन्न होती है।’ चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी ने कहा कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ की कुछ रिपोर्टिंग मानहानि वाली थी।
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हालांकि, बेंच ने कहा कि इसने फिर भी चैनलों के खिलाफ कार्रवाई का फैसला नहीं किया है। अदालत ने कहा कि किसी भी मीडिया प्रतिष्ठान द्वारा ऐसी खबरें दिखाना अदालत की मानहानि करने के बराबर माना जाएगा जिससे मामले की जांच में या उसमें न्याय देने में अवरोध उत्पन्न होता हो। पीठ ने कहा, ‘मीडिया ट्रायल के कारण न्याय देने में हस्तक्षेप और अवरोध उत्पन्न होते हैं और यह केबल टीवी नेटवर्क नियमन कानून के तहत कार्यक्रम संहिता का उल्लंघन भी करता है।
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अदालत ने कहा, ‘कोई भी खबर पत्रकारिता के मानकों और नैतिकता संबंधी नियमों के अनुरूप ही होनी चाहिए अन्यथा मीडिया घरानों को मानहानि संबंधी कार्रवाई का सामना करना होगा।’ उच्च न्यायालय ने आत्महत्या के मामलों में खबर दिखाने को लेकर मीडिया घरानों के लिए कई दिशा-निर्देश भी जारी किए।
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अदालत में राजपूत के मौत की घटना की प्रेस खासकर टीवी समाचार चैनलों द्वारा खबर दिखाने पर रोक लगाने की मांग करने वाली अनेक जनहित याचिकाओं पर पीठ ने पिछले वर्ष छह नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। ये याचिकाएं वरिष्ठ अधिवक्ता अस्पी चिनॉय, कार्यकर्ताओं, अन्य नागरिकों और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों के समूह द्वारा दायर की गई थीं। इनमें यह मांग भी की गई थी कि समाचार चैनलों को सुशांत मामले में मीडिया ट्रायल करने से रोका जाए।