गुना। मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के बार-बार कहने के बाद भी बिजली विभाग में कोई सुधार होता नहीं दिखाई दे रहा. इस विभाग के अधिकारी कितनी लापरवाही से काम करते हैं, इसका बड़ा उदाहरण है ये खबर. गुना की 65 साल की गरीब बुजुर्ग राम बाई प्रजापति को बिजली विभाग ने बिल थमाया है 2.50 लाख रुपए. ये बिल देख बुजुर्ग महिला के होश उड़ गए हैं और वह भयग्रस्त हो गई हैं.
गुना जिले की 65 साल की राम बाई प्रजापति पिछले 7 दिनों से बिजली विभाग के ऑफिस के चक्कर लगा रही है. ये बुजुर्ग महिला यहां ऑफिस के बाहर पेड़ के नीचे बैठे अफसरों का इंतजार करती रहती है.
लेकिन, कोई सुनवाई नहीं होती. यह महिला झोपड़ी में कई वर्षों से रह रही हैं. एक बल्ब और टेबल फैन महिला की झोपड़ी में है. इसका हर महीने 300 से 500 रुपए बिल आता था. लेकिन, लॉकडाउन के चलते महिला 2 महीने का बिल जमा नहीं कर पाई और अबकी बार बिजली का बिल जब महिला को दिया गया तो वह होश खो बैठी. बिल ढाई लाख रुपए का था.
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चक्कर काटकर थक गई- महिला
इसके बाद महिला बिजली बिल को लेकर बिजली विभाग के ऑफिस पहुंची, लेकिन 7 दिनों से उसकी सुनवाई नहीं हो रही. राम बाई प्रजापति ने बताया- मैं दूसरों के घरों में साफ-सफाई का काम करके अपना जीवन-यापन करती हूं. मेरे घर में एक बल्ब और एक टेबल फैन है. मेरा बिल ढाई लाखा आया है. ये समझ के बाहर है. मैं पिछले कई दिनों से यहां के चक्कर काट रही हूं, लेकिन सुनने वाला कोई है ही नहीं.
जनप्रतिनिधियों ने भी की उपेक्षा
गौरतलब है कि ये बिल देख महिला इतनी भयग्रस्त है कि उन्होंने जनप्रतिनिधियों से लेकर गुना कलेक्टर तक से इस बिल को ठीक करने क गुहार लगा ली, लेकिन किसी ने नहीं सुनी. इस मामले में जब बिजली विभाग के अफसरों से संपर्क साधा गया तो किसी भी अफसर ने कैमरे के आगे कुछ भी कहने से मना कर दिया और मीटिंग का नाम लेकर मामले से पल्ला झाड़ लिया.
बिजली की नई दरें जारी
गौरतलब है कि मप्र विद्युत नियामक आयोग ने अब नई बिजली दरें (टैरिफ) जारी कर दी हैं. आयोग ने बिजली की दरें नहीं बढ़ाकर उपभोक्ताओं को राहत दी है. हालांकि फिक्स चार्ज में 1 रुपए से 8 रुपए तक वृद्धि की गई है, जो पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले 0.63 प्रतिशत अधिक है.
बिजली कंपनियों ने 2,629 करोड़ घाटे की भरपाई के लिए 6.23 प्रतिशत वृद्धि की अनुमति मांगी थी, लेकिन आयोग ने 10 गुना कम दाम बढ़ाए हैं. दरों में वृद्धि नहीं करने की एक वजह नगरीय निकाय सहित अन्य चुनावों को माना जा रहा है. यही वजह है कि घरेलू और किसानों को राहत दी गई है.
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