राजकोट. गुजरात में इस वक्त कोरोना की दूसरी लहर (2nd Covid Wave) का प्रचंड प्रकोप है. यही वजह है कि राज्य सरकार को गुजरात हाईकोर्ट की तरफ से तल्ख टिप्पणियां भी सुनने को मिली हैं. लेकिन इस बीच राज्य के राजकोट (Rajkot) जिले के दो ऐसे गांव (Villages) हैं जो न सिर्फ गुजरात बल्कि पूरे देश के लिए मिसाल बन सकते हैं. इन गांवों के नाम हैं जसवंतपुर और सरवाडा (Jaswantpur and Sarwada). इन दोनों ही गांवों में बीते एक साल के दौरान कोरोना के मामले बेहद कम या फिर कहें न के बराबर आए.
महामारी की वजह से किसी ने जान नहीं गंवाई है. इस वक्त भी दोनों गांवों ने कोरोना मामलों की रोकथाम के लिए दुकानें बंद कर रखी हैं. और लोग बेवजह बाहर नहीं देखे जा सकते हैं. दोनों ही गांवों में किसी भी तरह का कोई त्योहार या उत्सव नहीं मनाया जा रहा है जिससे भीड़ न जुटे और सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे.
कैसे किए गए सोशल डिस्टेंसिंग के प्रयास और आशा कार्यकर्ताओंं का रोल
इन गांवों में सब्जी रिक्शे के जरिए लाई जाती है और गांव में ही बने स्कूल परिसर में बेची जाती है. एक गांव के प्रधान बाबू भाई हीरानी का कहना है कि नियम के मुताबिक गांव में सभी लोगों का वैक्सीनेशन पूरा किया जा चुका है. वहीं गांव में आशा कार्यकर्ता लोगों को कोरोना के खतरे प्रति जागरुक करने का काम करती हैं.
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की महत्वपूर्ण भूमिका
लॉकडाउन के दौरान सभी लोगों को समझाया गया था कि कोई बिना कारण घर से बाहर नहीं निकलेगा. इस संबंध में पोस्टर दोनों गांवों में हर जगह लगा दिए गए थे. साथ ही यहां के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही. लोगों की टेस्टिंग और वैक्सीनेशन पर बेहद गंभीरता से काम किया गया. इसके अलावा साफ-सफाई और सैनेटाजेशन को लेकर भी खासा ध्यान रखा गया जिससे महामारी का प्रसार न होने पाए.
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