मध्यप्रदेश में खनिज
मध्यप्रदेश खनिज संसाधनों की दृष्टि से संपन्न राज्य है। अविभाजित मध्यप्रदेश का खनिज उत्पादन में प्रथम स्थान है। मध्य प्रदेश का खनिज भंडारों की दृष्टि से देश में तीसरा स्थान है। मध्य प्रदेश में लगभग 25 प्रकार के खनिज पाए जाते हैं, जिनमें से 20 का उत्पादन प्रदेश में किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश ने अपनी खनिज नीति सर्वोत्तम वर्ष 1995 में घोषित की। मध्य प्रदेश राज्य खनिज निगम की स्थापना 19 जनवरी 1962 में की गई। मध्य प्रदेश आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2018 -19 के अनुसार खनिज संपदा की दृष्टि से मध्यप्रदेश, देश के आठ प्रमुख खनिज संपन्न राज्यों में से एक है। वर्ष 2017 – 18 में प्रदेश कोयला के सकल उत्पादन में राष्ट्र में चौथा स्थान है।
राज्य की अर्थव्यवस्था में खनिज एवं उत्खनन क्षेत्र का योगदान वर्ष 2016 – 17 के प्रचलित भावों के अनुमानों के अनुसार 3.91% एवं वर्ष 2017 – 18 (त्वरित) अनुमानों के अनुसार 4.0% है। हीरा उत्पादन में प्रदेश को राष्ट्र में एकाधिकार प्राप्त है, साथ-साथ मैग्नीज अयस्क, ताम्र अयस्क के उत्पादन में भी राष्ट्र में प्रथम स्थान प्राप्त है।
मध्यप्रदेश में लौह अयस्क के विशाल भंडार पाए जाते हैं। लौह अयस्क के उत्पादन में प्रदेश का देश में पांचवा स्थान है। प्रदेश रॉकफास्फेट के उत्पादन में द्वितीय तथा कोयला एवं चूना पत्थर के उत्पादन में चौथा स्थान प्राप्त है। मध्यप्रदेश देश का एकमात्र राज्य है, जिसमें हीरा व स्लेट का उत्पादन होता है। चीनी मिट्टी का मूल नाम केओलिन है। अग्निरोधी मिट्टी से उच्च ताप सह ईटे बनाई जाती है। टाल्क के सबसे कम कपूर खनिज है। बॉक्साइट एलुमिनियम का अयस्क है।
हीरे का अधिकांश उत्खनन नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन द्वारा कराया जाता है।मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले का आगर गांव टंगस्टन के लिए प्रसिद्ध है। प्रदेश का पन्ना जिला हीरा उत्पादन में देश का प्रथम स्थान पर है। प्रदेश के झाबुआ जिले में रॉक फॉस्फेट के भंडार है। प्रदेश में चूना पत्थर के विशाल भंडार मौजूद है। मध्यप्रदेश में सूरमा का उत्पादन जबलपुर में होता है। मध्यप्रदेश के बालाघाट तथा छिंदवाड़ा मुख्य मैग्नीज उत्पादक जिले हैं।
मध्यप्रदेश में पूरे देश के तांबा उत्पादन का 22% पाया जाता है। राज्य शासन द्वारा मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 में लागू किया गया। प्रदेश के बैतूल जिले में ग्रेफाइट मिलता है। मध्य प्रदेश के मलाजखंड में ताम्र अयस्क की 170 मीटर लंबी और 20 मीटर चौड़ी पेटी में 193 मीट्रिक टन का भंडार है। मध्य प्रदेश में कोयला खदाने विंध्या कल्प की है।
मध्यप्रदेश में उपस्थित कोयला भंडारों का आगामी 600 वर्षों तक उपयोग किया जा सकता है। कोयले को काला हीरा भी कहा जाता है। प्रदेश के सिंगरौली कोयला क्षेत्र में देश की सबसे मोटी तथा विश्व में दूसरे नंबर की सबसे मोटी कोयले की परत पाई जाती है। अग्निरोधी मिट्टी अधिकतर कोयले की खदानों से मिलती है। कैल्साइट, लेटराइट तथा रॉक फास्फेट के उत्पादन में प्रदेश का द्वितीय स्थान है।
मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले की भारवेली खदान एशिया की सबसे बड़ी खुले मुंह की खदान है। बुलफाम टंगस्टन का अयस्क है। मध्यप्रदेश में लोहा अयस्क जबलपुर, मंडला, बालाघाट में पाया जाता है। मध्यप्रदेश में बॉक्साइट का उत्खनन 1908 से कटनी से प्रारंभ है। बॉक्साइट का उत्पादन प्रदेश के अनूपपुर, मंडला, बालाघाट, जबलपुर, सतना में होता है। मध्य प्रदेश के अमरकंटक को (बॉक्साइट उत्पादन में) रेणुकूट कहा जाता है। प्रदेश का सुहागापुर सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र है।
मध्य प्रदेश में चीनी मिट्टी के उत्पादन क्षेत्र ग्वालियर, जबलपुर, सतना, शहडोल आदि है। फायरक्ले 1600F तापमान तक नहीं जलता है। फायरक्ले प्रदेश के जबलपुर शहडोल नरसिंहपुर पन्ना में मुख्यता होता है। जिप्सम मध्य प्रदेश के रीवा जिले में पाया जाता हैं।
मध्यप्रदेश में सर्वाधिक मात्रा में बिटूमिनस प्रकार का कोयला पाया जाता है। प्रदेश के बैतूल जिले से टिन प्राप्त होता है। गेलेना सीसा का मुख्य अयस्क है। मध्य प्रदेश का गेरू के उत्पादन में देश में प्रथम स्थान है। प्रदेश के खरगोन जिले में उच्च स्तरीय रॉक फास्फेट का पता चला है। मध्य प्रदेश से मैग्नीज अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और रूस को निर्यात किया जाता है।
प्रदेश के लौह अयस्क का निर्यात जर्मनी व जापान को किया जाता है। मध्य प्रदेश में फेल्सपार जबलपुर और शहडोल में पाया जाता है। इसका उपयोग मिट्टी के बर्तन ताम्रचीनी की वस्तुएं तथा काच बनाने में किया जाता है। कोरंडम एलुमिनियम का प्रमुख अयस्क है। हीरे के बाद सबसे कठोर खनिज को रैंडम है। ताना अधिकतम आग्नेय कायांतरित शैल उसे प्राप्त होता है।
मध्यप्रदेश में अभ्रक ग्वालियर में कुड़प्पा में मिलता है। ग्रेफाइट मुख्यता प्रदेश के बैतूल जिले में पाया जाता है। सतना की मझगवा खदानों में प्रत्येक 100 टन चट्टानों में 11.7 कैरेट हीरे मिलते हैं। मध्य प्रदेश में कोयला भंडारण की दृष्टि से विंध्य प्रथम स्थान पर है। जब चूना पत्थर में 45 परसेंट से अधिक मैग्नीशियम होता है, तो इसे डोलोमाइट कहते हैं।
सेलखड़ी टाल्क या स्टीएराइट नामक खनिज की एक किस्म है। बैराइटीज खनिज सल्फेट का मिश्रण है, जिसमें लगभग 66% बेरियम ऑक्साइड होता है। डोलोमाइट का प्रयोग लोहा साफ करने में किया जाता है। टंगस्टन का उपयोग बल्ब का फिलामेंट बनाने में होता है। सिंगरौली क्षेत्र 25 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। प्रदेश का सोहागपुर कोयला क्षेत्र सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र है, जो 4142 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। कोयला अवसादी चट्टानों में पाया जाता है। एंथेसाइट कोयला सर्वाधिक उच्च श्रेणी का होता है। कोयले के भंडारण में पश्चिम बंगाल के बाद प्रदेश का दूसरा स्थान है।
मध्य प्रदेश में कोयला क्षेत्र को दो भागों में बांटा गया है
- मध्य भारत कोयला क्षेत्र तथा
- सतपुड़ा कोयला क्षेत्र।
मध्य भारत क्षेत्र के अंतर्गत पाठ क्षेत्र शामिल है, जो निम्न है –
- सिंगरौली
- सुहागपुर
- उमरिया
- कोरार व
- जोहिला कोयला क्षेत्र
सतपुड़ा कोयला क्षेत्र में 4 क्षेत्र यथा –
- मोहपानी
- शाहपुर तवा
- कान्हन घाटी क्षेत्र तथा
- पेंच घाटी क्षेत्र शामिल है।
कोयले को कार्बन के आधार पर चार भागों – बिटूमिनास, पीट, एंथेसाइट तथा लिग्ननाइट में विभाजित किया गया। मध्यप्रदेश में बिटूमिनास प्रकार का कोयला ही सर्वाधिक पाया जाता है।