उज्जैन. महाकाल की नगरी उज्जैन में जिसे मौका मिल रहा है, वो जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी कर रहा है. ताजा मामला चरक अस्पताल है. यहां पुलिस ने दो नर्सों और उनके साथी को रेमडेसिविर और मेरोपेनम इंजेक्शन के साथ पकड़ा. ये दोनों नर्सें इंजेक्शन को मरीजों को न लगाकर खुद रख लेती थीं और उनका साथी बाजार में ऊंचे दामों पर बेच देता था.
जानकारी के मुताबिक, थाना सेंटर कोतवाली को किसी से सूचना मिली कि चरकअस्पताल की दो नर्स राजश्री मालवीय और एकता मालवीय रेमडेसिविर और मेरोपेनम की कालाबाजारी कर रही हैं. उनका साथी मयूर सोलंकी उनके लिए ग्राहक ढूंढकर लाता था. CSP पल्लवी शुक्ला के मुताबिक आरोपियों के पास 5 इंजेक्शन थे. इनमें से तीन इंजेक्शन ये लोग पहले ही SS अस्पताल में किसी मजबूर को एक लाख रुपए में बेच चुके हैं.
नर्स करती थी चोरी का पूरा इंतजाम
CSP के मुताबिक, चरक अस्पताल के कोविड वार्ड में काम करने वाली नर्स इस पूरे काम की मास्टरमाइंड है. ये नर्स मरीजों के लिए शासन द्वारा दिए जाने वाले इंजेक्शन को बचा लेती थीं और मयूर को बेचने के लिए दे देती थीं. उन्होंने बताया कि सूचना मिलने के बाद साइबर पुलिस की टीम ने जाल बिछाया और अपने एक साथी को मरीज का परिजन बनकर इंजेक्शन खरीदने के लिए भेजा. मयूर ने इसकी कीमत 20 हजार रुपए मांगी. इंजेक्शन की डिलीवरी के वक्त उसे पकड़ लिया गया.
क्षिप्रा में पिंड दान पर रोक
उज्जैन में क्षिप्रा नदी में पिंड दान और पूजा पर रोक लगा दी गयी है. ये रोक अगले आदेश तक जारी रहेगी. हालांकि पंडे इस दौरान ऑनलाइन पूजा करवाते रहेंगे. देश भर से गया, इलाहाबाद और बनारस के बाद उज्जैन में भी पुरखों और मृतकों का पिंडदान किया जाता है. उत्तर विधान कर्म गरुड़ पुराण पिंड दान कराने बड़ी संख्या में लोग उज्जैन पहुंचते हैं. लेकिन कोरोना कर्फ्यू के कारण फिलहाल इस पर रोक लगा दी गयी है.
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